Wednesday 20 July 2011

पारंपरिक लोक माध्यम

पारंपरिक लोक माध्यम का जन्म आदि काल से ही हुआ है .जब मनुष्य संचार का मतलब नहीं जनता था तभी से ये माध्यम अस्तित्व में है सभ्यता के विकाश से ले कर मुद्रण यन्त्र के अविष्कार तक यही माध्यम सन्देश प्रशारण का कार्य करते थे . संचार का यह सर्वाधिक प्रभावी माध्यम है इन माध्यमो के द्वारा पढ़े लेखे तथा अनपढ़ दोनों ही समूहों में सार्थक एवं प्रभावी ढंग से सन्देश पराश्रित किये जा सकते है. इन माध्यमो के अंतर्गत धार्मिक प्रवचन कथा ,वार्ता , संगीत , लोक संगीत ,पर्यटन , यात्रा वृतांत ,नाटक आदि आते है .]
                                         इन लोक माध्यमो की सबसे बड़ी विशेषता है की मनुष्यों द्वारा उस समूह की संस्कृति, भाषा,परिवेश अवं रूचि के अनुरूप संदेशो का सम्प्रेषण किया जाता है जिस समूह में संदेस पराश्रित करना होता है .जनसंचार के पारंपरिक लोक माध्यम आदि कल से ही अस्तित्व में है .

1 comment:

  1. but now,at this modern time the eloctronic media is also for illeterate,blind n for other handicap people........and it is fast n useful compare than LOK MADHYAM

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