भूत मे प्रत्यक्ष
वर्तमान की स्मृतियां
मे क्यूं कर इंसान
वर्तमान टटोल रहा
गुजर गया जो
प्रभाव छोड़ कर
ह्रदय मे भाव
स्मृति मे यादें
नेत्र से झरता
कभी वह अविरल
भाव जब वेग
अश्रु बन उभरता
कोई आंख क्यूं कर
ह्रदय मोह लेती
अनोखी बन माया
अमिट स्मृति पटल 🌷
क्या बोलू ...यह महज़ एक सवाल नहीं हैं ...न ही बस एक विचार ...ये दो शब्द मिल के हर बात को नयी पहचान देते हैं , ऐसे दो राहों को सामने लाते हैं जहा खुद के विवेक का प्रयोग करना ही पड़ता हैं ...बात चाहे किसी सवाल के जवाब देने की हो या फिर खुद को बताने की , या ही दूसरों को सामने लाने की, हर बार मन में ,जबान में पहली सोच ,समझ और शब्द की आवाज और आगाज़ बनता हैं यही की ....क्या बोलू ?????
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