जीवन का माधुर्य
सिमटा उन क्षणों
जब नेत्र मिलकर
रूक से गऎ
अद्भुत अहसास
ह्रदय मे संजोए
इक मिठास
मिटे नही मिटे
क्षण अनमोल
खोजें न मिले
प्रेम से उपजे
मोल नहीं मिले
जीवन की पूंजी
है बस उनमें
मुहब्बत है उधव
बंदगी वह नहीं 🌷
क्या बोलू ...यह महज़ एक सवाल नहीं हैं ...न ही बस एक विचार ...ये दो शब्द मिल के हर बात को नयी पहचान देते हैं , ऐसे दो राहों को सामने लाते हैं जहा खुद के विवेक का प्रयोग करना ही पड़ता हैं ...बात चाहे किसी सवाल के जवाब देने की हो या फिर खुद को बताने की , या ही दूसरों को सामने लाने की, हर बार मन में ,जबान में पहली सोच ,समझ और शब्द की आवाज और आगाज़ बनता हैं यही की ....क्या बोलू ?????
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