इंसान जानने लगा है
एक अहंकार ज्ञान से
कितना बड़ा हूं "मैं"
मस्तिष्क मे भर कर
यत्र तत्र हर ओर
एक प्रतिस्पर्धा लिए
यह करेंगे वह करेंगे
क्या नहीं कर सकते
कितना बड़ा है इंसान
कितना ज्ञानी इंसान
आपने कुछ किया न
किए-बने बिन तो न
सब कर रहे बहुत
सब जान रहे बहुत
इतना तो बता "मनु"
"खुद" को जाना कया
🌷
किसी की अहमियत
वर्तमान मे नहीं होती
आदत सी हो जाती
अमूल्य अपनों की
अहम कितने लोग के
पर्दा डाल दिया करते
खुदा से नवाजे गए
इन अमूल्य क्षणों को
जीवन की भागदौड़
कभी नहीं थमने को
ढूंढ रही अपनों की
चाहे न नजरंदाज कर
देख सके तो देख ले
ह्रदय के नेत्रों से
खुदा से नवाजे गए
कोहीनूरी रिश्तों को🌷
हम प्रायः बातें करते
यह करेंगे व बनायेंगे
इतनी सामग्री लगेगी
वह श्रम समय लगेगा
बिन किसी सामग्री के
वह अद्भुत कारीगर
बिन कुछ सामग्री के
प्रचंड ब्रह्मांड रचाया
अकेला बिन नक्शे
भिन्न-भिन्न प्रकार
रुप रंग और आकार
रचनाकार हैं अकेला
फूंक प्राण जीव रचाए
फल फूल बहते झरने
विशाल समुद्र पहाड़
सूर्य किरण से प्रकाश
फिर भी मनुष्य मन
कहे यह वह किया
उन्माद की सीमा पर
कहता खुदा कहां है 🌷
भूत मे प्रत्यक्ष
वर्तमान की स्मृतियां
मे क्यूं कर इंसान
वर्तमान टटोल रहा
गुजर गया जो
प्रभाव छोड़ कर
ह्रदय मे भाव
स्मृति मे यादें
नेत्र से झरता
कभी वह अविरल
भाव जब वेग
अश्रु बन उभरता
कोई आंख क्यूं कर
ह्रदय मोह लेती
अनोखी बन माया
अमिट स्मृति पटल 🌷