तुम्हारे चेहरे की हर लकीर का मतलब खूब समझ जाती हूं मैं
तुम कहो न कहो
उसपे हलकी सी ख़ुशी का भीगा समन्दर
लहरों की करवटों की सुनी आवाज
मेरे साहिल को सुलझा जाती हैं
लेकिन शर्त बस इतनी सी हैं
कि चेहरा दिखा दिया करो |
यशस्वी ...
क्या बोलू ...यह महज़ एक सवाल नहीं हैं ...न ही बस एक विचार ...ये दो शब्द मिल के हर बात को नयी पहचान देते हैं , ऐसे दो राहों को सामने लाते हैं जहा खुद के विवेक का प्रयोग करना ही पड़ता हैं ...बात चाहे किसी सवाल के जवाब देने की हो या फिर खुद को बताने की , या ही दूसरों को सामने लाने की, हर बार मन में ,जबान में पहली सोच ,समझ और शब्द की आवाज और आगाज़ बनता हैं यही की ....क्या बोलू ?????
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