खुद से खिलवाड़ क्यू
लाख कोशिशो के बाद भी आज हम क्यू अपनी योजनाओ को मूर्त रूप में स्थापित नही कर पा रहे है |या तो हम अनजान है या फिर जन बुझकर खुद को सिर्फ सड़क पर दौड़ लगाते ,या फिर सिगरेट के धुए में उड़ाते हुए अपनी भविष्य को नजर अंदाज करने पर आमदा है|क्यू हम स्वर्ग के अस्तित्व पर एक विश्मयबोधक प्रश्नचिन्ह लगाकर "टेक ईट इजी " का लेवल लगाये हुए खुद को सरेआम बेरोजगारी ,अशिक्षा के हाथो मुफ्त में नीलाम करने पर तुले हुए है |
देश के समग्र विकास के लिए जहा हर संभव प्रयास सरकार के द्वारा किया जा रहा है वही समाज और सामाजिक प्राणी कहे जाने वालो में से बीज से लेकर फल तक सब अपनी सुरक्षा के प्रति सचेत ना होकर सिर्फ अलग -२ राग अलापे जा रहे है|
कही ठेले को तेज से खीचते जा रहे भावी कर्णधार पान-मसाला वालो को देखकर "मुन्नी बदनाम हुई "और सिटी बजाकर निकल जाते है तो कही दूसरी ओर साईकिल से जाते एक लड़की के पीछे मंडराते हुए कुछ भौरे "शीला की जवानी "को गुनगुनाने में ही सारा समय बिता देते है| कही बस की सीटो पर बैठे विद्द्यार्थी सिर्फ सिविल लाइन्स का टिकट लेकर झूंसी तक की यात्रा को पार कर लेते है,तो कही परीक्षा देकर लौटा छात्र अपने मित्रो को यह जताकर कि पढाई कि आड़ में वह किस कदर अपने मजबूर माता -पिता को बेवकूफ बनाकर शराफत कि टाई को हर समय मेंटेन किये हुए है |ऐसे नाजुक स्थिति के मद्देनजर अगर आप भारत जैसे वृक्ष के ये जड़, अपनी नीव खुद से कमजोर करने पर तुले हुए है तो कैसे उम्मीद कि जाये कि बौर भी आयेंगे और फल भी मिलेगा |अगर समय रहते हम खुद कि जिम्मेदारी नही समझे तो शायद वह दिन दूर नही कि आज हम सड़क पर भिखारियों को हट्टे -कट्टे होने का ताना देते है,कल उनकी ही श्रेणी में न पहुच जाये क्योकि वर्तमान और भविष्य के बीच अगर सुधार व तालमेल न रखा गया तो यह हमारे लिए एक अबूझ पहेली होगी और हमेशा हलचल पैदा करती रहेगी |
अतः आवश्यक है कि हम अपने आज और कल का भली-भांति मुल्यांकन करे और खुद के साथ खिलवान ना करे |
यशस्वी जी
aapke artcle se kuch log soch sakte hai...
ReplyDeleteAur apna valuation bhi kar sakte hai..lekin jab tak aadmi ko thokar nahi lagata hai tab tk wah kai baato ko samjh nahi pata...or kahta hai jo ho rha hai achha ho rha hai...i think samay ke sath sbko smbhal jana chahiye..
''samay hot balwaan''.
self analysis is the best analysis hope the person may find time for himself/herself.
ReplyDeleteI agree with you completely,my father also says,"work these few years and enjoy the rest of years or enjoy these few years and cry the rest of your life."
ReplyDeleteVERY GOOD THOUGHT AND I HOPE THAT UR FOLLOWER WILL NOT DO THUS TIPS OF THING THEY WILL THINK ABOUT THERE SELF
ReplyDeleteI FEEL VERY MUCH ENERGY AFTER READING UR ARTICAL
GHAJAB KA ARTICAL HAI BETU
CARY ON BEST OF LUCK
Man often becomes what he believes himself to be. If I keep on saying to myself that I cannot do a certain thing, it is possible that I may end by really becoming incapable of doing it. On the contrary, if I have the belief that I can do it, I shall surely acquire the capacity to do it even if I may not have it at the beginning.
ReplyDeleteCarefully watch your thoughts, for they become your words. Manage and watch your words, for they will become your actions. Consider and judge your actions, for they have become your habits. Acknowledge and watch your habits, for they shall become your values. Understand and embrace your values, for they become your destiny.
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