असली मिलन
जिन्दगी की कली अभी तक सुखी ही पड़ी थी
उसमे काँटों का आना बाकि था
आंधी रात को आंसमां के उस छोर पर
चंद्रमा का जाना बाकि था
इंतजार था सभी जगत के लोगो को
क्योकि.........
नदियों का मिलना अभी तक जो बाकि था
प्रत्येक पहर पर चारो दिशायों में
कमलियों का श्रृंगार अभी बाकि था
प्रतीक्षा थी प्रतीक्षा की श्रृंखला में
अवशेष बनकर रह गयी
कभी,कभी अचानक
मुझे तुम्हारा साथ मिला
किन्तु,
दुर्भाग्य है वो नजारा बहुत समय के बाद मिला
जिसकी तलाश पर मै भटकती रही थी
जिसकी आस पर मै तड़पती रही थी
वही छोर आज न जाने -
कितने दिनों के बाद मिला
चाहती हूँ तुमसे .........
कभी अलग न मै रहू
किन्तु ,
सफलता का जो झरोखा सा एक बन गया है
उसे विस्तृत रूप देने का जो संकल्प लिया है
उसके लिए यदि तुम और मै,
एक दुसरे से आज अलग होते है
तो विस्वास करो इसे अलग नहीं
बल्कि ...........
मिलना इसी को कहते है
YASHASWI DWIVEDI
THATS VERY GOOD BETU HAVE U WRITTEN IT UR SELF
ReplyDeletegud kavita .
ReplyDeleteGOOD ONE.......SAFALTA KA JHAROKHA PANA PHELE BHUT JARORI HAI...KYNKI YEH AISA JHAROKHA HAI JO EK BAAR CHALA GAYA TOH NAHI MILTA PAR BAKI SAB JHAROKE MIL JATE HAIN. REALLY NICE ONE.
ReplyDelete"KHUD KO KAR BULAND ITNA KI KHUD KHUDA BHI AAKE PUCHE KI BATA TERI RAZA KYA HAI......!!"
ReplyDeleteEK BAAR SAFLTA NE PAIR CHUM LIYE TOH DUNIYA KI HAR CHEEZ AAAPKE SAAMNE APNA SIR JHUKA DEGI...!!